Typhoid Needs Attention

स्वास्थ्य सेवाकर्मियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी और संदर्भ

इस खंड में टाइफाइड पर किए गए प्रमुख अध्ययनों और आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त रिपोर्टों को शामिल किया गया है। रोगों के लक्षण, ट्रीटमेंट एल्गोरिदम, बचाव की रणनीतियों और टीकाकरण के प्रभाव के बारे में सबूतों पर आधारित डेटा से जानकारी प्राप्त करें।

द इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च

टाइफाइड बुखार: नियंत्रण और भारत में चुनौतियाँ

भारत में मियादी बुखार (एन्टरिक फीवर) सर्वाधिक स्वास्थ्य सेवा के लिए एक गंभीर चुनौती है, जो खास तौर पर बच्चों को प्रभावित करती है। टाइफाइड की रोकथाम के लिए सभी रणनीतियों को एकजुट करना आवश्यक है, जो डायग्नोस्टिक्स, निगरानी, ​​टीकाकरण और WASH पहलों को जोड़ती हैं।

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च

भारत में टाइफाइड साल्मोनेला के एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध की एक क्रमबद्ध समीक्षा

भारत में साल 1992 से 2017 के दौरान टाइफाइड बुखार के एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) की प्रवृत्तियों का विश्लेषण। इसके नतीजे बैक्टीरिया की प्रतिरोधी किस्मों का मुकाबला करने के लिए उपचार संबंधी नवीनतम दिशा-निर्देशों और टीकाकरण की रणनीतियों की आवश्यकता को उजागर करते हैं।

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन

टाइफाइड बुखार और पैराटाइफाइड बुखार के लिए चिकित्सीय दिशा-निर्देश

टाइफाइड के बारे में विस्तृत जानकारी, इसकी चिकित्सीय ​​विशेषताओं, हालात को गंभीर बनाने वाली स्थितियों, डायग्नोसिस, बचाव और उपचार का विवरण।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन

भारत में टाइफाइड और पैराटाइफाइड बुखार का प्रकोप

भारत में सक्रिय निगरानी का उपयोग करके किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शहरी इलाकों में टाइफाइड की दर काफी अधिक है, जिसने इस बीमारी से जुड़ी पुरानी सोच को चुनौती दी। इसके नतीजे लक्षित तरीके से टीकाकरण करने और बेहतर निगरानी की जरूरत को उजागर करते हैं।

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स

IAP मानक उपचार दिशा-निर्देश 2022

टाइफाइड बुखार से निपटने की रूपरेखा, जिसमें हर उम्र के लोगों के लिए खास लक्षणों की पहचान करना, सीरोलॉजिकल टेस्ट की तुलना में ब्लड कल्चर को ज्यादा अहमियत देना, और उसके बाद एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार के साथ-साथ बच्चों के लिए खुराक संबंधी दिशा-निर्देश शामिल है।

मेयो क्लिनिक

टाइफाइड बुखार - डायग्नोसिस एवं उपचार

चिकित्सकीय जाँच, की गई यात्रा के बारे में जानकारी और लैब टेस्ट के जरिए टाइफाइड बुखार का पता लगाने के लिए दिशा-निर्देश के साथ-साथ अलग-अलग तरह के एंटीबायोटिक दवाओं के लिए उपचार संबंधी सुझाव।

विश्व स्वास्थ्य संगठन

WHO प्रीक्वालिफाइड टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन (TCVs) की प्रमुख विशेषताओं की संक्षिप्त जानकारी

दो अलग-अलग WHO-प्रीक्वालिफाइड टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन की तुलना, जिसमें उनकी संरचना, उनके असर और सुरक्षा को उजागर किया गया है। दोनों में से, टाइपबार-टीसीवी जमीनी स्तर पर बेहद कारगर साबित हुआ है।

BMC इनफेक्शियस डिजीज

मामला नियंत्रण अध्ययनों में टाइफाइड बुखार के साथ पानी, स्वच्छता और साफ-सफाई का संबंध: एक व्यवस्थित समीक्षा एवं मेटा-एनालिसिस

27 मामला नियंत्रण अध्ययनों की समीक्षा से यह बात जाहिर हुई है कि, बेहतर पानी, स्वच्छता और साफ-सफाई (WASH) की आदतों से टाइफाइड होने की संभावना कम हो जाती है। पानी को उपचारित करने, स्वच्छता के बारे में जानकारी और बेहतर बुनियादी सुविधाओं जैसे सरल, कम लागत वाले समाधान सीमित संसाधनों वाले इलाकों में टाइफाइड की कारगर तरीके से रोकथाम कर सकते हैं।

ओपन फोरम इनफेक्शियस डिजीज

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के दौर में टाइफाइड की रोकथाम: चुनौतियाँ और अवसर

सालमोनेला टाइफी में AMR बढ़ने से रोकथाम पर विशेष ध्यान देना और एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भर नहीं रहना बेहद जरूरी हो गया है। टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन के साथ-साथ WASH में सुधारों के साथ इसकी स्थायी रोकथाम संभव हैं। प्रतिरोध के सिलसिले को तोड़ने के लिए रोकथाम को अहमियत देना जरूरी है।

जेपी ब्रदर्स

पर्पल बुक: वैक्सीन एवं इम्यूनाइजेशन के अभ्यास पर सलाहकार समिति (ACVIP) द्वारा टीकाकरण 2022 पर IAP मार्गदर्शिका

(पृष्ठ 285-320): भारत में टाइफाइड टीकों के बारे में विस्तृत जानकारी, जिसमें पुराने टीकों की जगह नए टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन को अपनाने पर बल दिया गया है, जो बेहद प्रभावी, प्रतिरोधक क्षमता को लंबे समय तक बनाए रखने वाला और बच्चों के लिए उपयुक्त है।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन

नेपाल में टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन परीक्षण के तीसरे चरण के असरदार होने का विश्लेषण

नेपाल में बिना क्रम के किए गए एक परीक्षण में पाया गया कि, टाइपबार टीसीवी की एक खुराक बच्चों (9 महीने-16 वर्ष) में ब्लड-कल्चर से पता चलने वाले टाइफाइड बुखार की रोकथाम में ~ 82% कारगर थी। यह इम्युनोजेनिक वैक्सीन थी, जो बेहद छोटे बच्चों को सुरक्षा देने में बेहद असरदार थी।

द लैंसेट

बांग्लादेश के शहरी इलाकों में वी-टेटनस टॉक्सोइड कॉन्जुगेट वैक्सीन के टीकाकरण के जरिए टाइफाइड बुखार से बच्चों की सुरक्षा: एक क्लस्टर-रैंडमाइज्ड परीक्षण

बांग्लादेश में 61,000 से अधिक बच्चों (9 महीने से <16 वर्ष) पर किए गए अध्ययन में 2 सालों के दौरान टाइफाइड से ~85% सुरक्षा दर्ज की गई। यह वैक्सीन हर उम्र के लोगों के लिए बेहद प्रभावी थी, जो 2 साल से कम उम्र के बच्चों में ~81% असरदार साबित हुई। के उपयोग के बाद कोई गंभीर प्रतिकूल मामला सामने नहीं आया।

द लैंसेट

बांग्लादेश के बच्चों में वी-टेटनस टॉक्सोइड कॉन्जुगेट वैक्सीन (TyVOID) की एक खुराक के बाद 5 सालों तक सुरक्षा: एक क्लस्टर-रैंडमाइज्ड परीक्षण

बांग्लादेश में पांच साल के अनुवर्ती अध्ययन में पाया गया कि, टाइपबार टीसीवी का असर 3 से 5 सालों में घटकर ~ 50% रह गया, जिससे स्कूल में दाखिले की उम्र के आस-पास बूस्टर डोज लेने की जरूरत का संकेत मिलता है।

द लैंसेट

टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन का प्रभाव: मलावी के बच्चों में 4-वर्षीय, तीसरे चरण के क्रम-रहित नियंत्रित परीक्षण का अंतिम विश्लेषण

मलावी में किए गए एक प्लेसबो-नियंत्रित परीक्षण (~28,000 बच्चे, 9 महीने से 12 साल की उम्र के) में टाइपबार टीसीवी को चार सालों में ~78% असरदार पाया गया, जिसमें हर उम्र के लोगों में मजबूत सुरक्षा के साथ-साथ प्रभावशीलता में बेहद कम गिरावट देखी गई।

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च

भारत में टाइफाइडल साल्मोनेला में एज़िथ्रोमाइसिन का प्रतिरोध: 25 वर्षों का विश्लेषण

संग्रहित किए गए 602 आइसोलेट्स के एक अध्ययन से पता चला कि, भारत में टाइफाइडल साल्मोनेला के खिलाफ एज़िथ्रोमाइसिन अभी भी असरदार है, लेकिन प्रतिरोध की प्रवृत्ति बढ़ती देखी गई। किसी भी प्रकार के प्रतिरोधी जीन का पता नहीं चला, जिससे निरंतर रोगाणुरोधी निगरानी की आवश्यकता उजागर हुई।

अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन

टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन का जमीनी स्तर पर प्रभाव: 2018 नवी मुंबई पीडियाट्रिक टीसीवी कैंपेन

लगभग ~113,000 बच्चों (9 महीने से 14 साल) को लक्षित करके चलाए गए बड़े पैमाने के टीकाकरण अभियान में टाइपबार टीसीवी को जमीनी स्तर पर लगभग ~84% असरदार पाया गया।

क्लिनिकल इन्फेक्शियस डिजीज

उत्तरी भारत में साल्मोनेला टाइफी की स्वतंत्र नस्लों में एज़िथ्रोमाइसिन प्रतिरोध का अपने आप विकसित होना

भारत के चंडीगढ़ में 66 साल्मोनेला टाइफी आइसोलेट्स का विश्लेषण करने वाले एक अध्ययन में एज़िथ्रोमाइसिन का प्रतिरोध करने वाले एक खास म्यूटेशन (acrB जीन में R717Q) के साथ सात उप-किस्मों की पहचान की गई।

द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ

पाकिस्तान के हैदराबाद में बड़े पैमाने पर दवा-प्रतिरोधी परिवेश में कल्चर के जरिए पता चलने वाले साल्मोनेला एंटरिका सीरोटाइप टाइफी के खिलाफ टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन का प्रभाव: एक समूह अध्ययन

पाकिस्तान के हैदराबाद में बड़े पैमाने पर दवा-प्रतिरोधी (XDR) टाइफाइड प्रकोप के दौरान, ~ 23,000 बच्चों के एक समूह में टाइपबार टीसीवी को कल्चर के जरिए पता चलने वाले टाइफाइड के खिलाफ 95% और XDR टाइफाइड उप-किस्मों के खिलाफ 97% प्रभावी पाया गया।

ह्यूमन वैक्सीन्स एंड इम्यूनोथेरेप्यूटिक्स

बचपन के नियमित टीकों के साथ टाइपबार टीसीवी वैक्सीन लगाना

भारत में किए गए एक चिकित्सकीय ​​परीक्षण (493 शिशुओं) में पाया गया कि, टाइपबार टीसीवी को 9 महीने की उम्र में खसरा/एमएमआर टीकों के साथ सुरक्षित तरीके से दिया जा सकता है, जिसका प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर कोई असर नहीं होता है।

वैक्सीन

भारत में टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन को उपयोग में लाना: सहायक साक्ष्यों की समीक्षा

भारत में टाइपबार टीसीवी के किफायती, सुरक्षित और असरदार होने की विस्तृत समीक्षा, जो लंबे समय में सुरक्षा डेटा में कमियों को उजागर करती है।

वैक्सीन

जिम्बाब्वे में बच्चों एवं युवाओं में इसके प्रसार पर कार्रवाई करने में इस्तेमाल किए गए टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन का प्रभाव: एक सुमेलित मामला नियंत्रण अध्ययन

साल 2019 में जिम्बाब्वे में किए गए एक अध्ययन में प्रकोप के दौरान टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन के असरदार होने का मूल्यांकन किया गया। इसके नतीजे से पता चला कि यह बिल्कुल सुरक्षित, विशेष रूप से बच्चों में (75-84% प्रभावी) सुरक्षित है, जो टाइफाइड की रोकथाम में TCV की भूमिका को मजबूत करता है।

जर्नल ऑफ इन्फेक्शन

नियंत्रित मानव संक्रमण के बाद टाइफाइड बुखार के बेहतर डायग्नोसिस के लिए ब्लड-कल्चर-पीसीआर, बार-बार बिना लक्षण के सामने आने वाले मामलों और प्राथमिक बैक्टीरिया की मौजूदगी की पहचान करता है

कल्चर-पीसीआर जांच में खून में मौजूद सालमोनेला टाइफी डीएनए का पता लगाया जाता है, जो ब्लड-कल्चर की तुलना में कम संवेदनशील होने के बावजूद चिकित्सकीय जानकारी देता है। यह बिना लक्षण वाले संक्रमणों और खाने के बाद होने वाले शुरुआती बैक्टेरिमिया की पहचान करता है, लेकिन क्लिनिकल ​​सेटिंग्स में इसकी उपयोगिता सीमित है।

फ्रंटियर्स इन बैक्टीरियोलॉजी

एंटरिक फीवर एवं डायग्नोस्टिक टूल्स: सटीकता को परिभाषित करना

इस अध्ययन में ब्लड क्लॉट पीसीआर की तुलना में टाइफीपॉइंट ईआईए (एलिसा) का मूल्यांकन किया गया, जिसे 92.9% संवेदनशील और 68.8% विशिष्ट पाया गया। तुरंत की जाने वाली जांच की सटीकता बढ़ाने से डायग्नोस्टिक ज्यादा भरोसेमंद हो सकता है और सीमित संसाधन वाली परिस्थितियों में अनावश्यक एंटीमाइक्रोबियल के उपयोग को कम किया जा सकता है।

फ्रंटियर्स इन बैक्टीरियोलॉजी

एंटरिक फीवर डायग्नोसिस: मौजूदा चुनौतियाँ और भविष्य की राह

कल्चर, पीसीआर और सीरोलॉजी सहित डायग्नोस्टिक के सभी मौजूदा तरीकों की अपनी सीमाएँ हैं। इस अनुसंधान में बेहतर पहचान के लिए बायोमार्कर की पहचान करने पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो स्थानिक क्षेत्रों के लिए किफायती एवं आसानी से उपलब्ध डायग्नोस्टिक्स पर जोर देता है।

अस्वीकरण: इस पृष्ठ पर दी गई जानकारी केवल भारतीय स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए है। मरीजों को चिकित्सकीय सलाह के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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