Typhoid Needs Attention

टाइफाइड एक गंभीर संक्रमण है जो साल्मोनेला टाइफी के कारण होता है।[1] यह एक तरह का मियादी बुखार (एन्टरिक फीवर) है, जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है।[2] ये बैक्टीरिया खास तौर पर इंसानों में पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर में किसी भी तरह के लक्षण के बिना लंबे समय तक (कभी-कभी सालों तक) रह सकते हैं, और हम अनजाने में दूसरों को इनसे संक्रमित कर सकते हैं।खाने-पीने की दूषित चीजों का सेवन करने पर ये बैक्टीरिया आंतों के मार्ग पर हमला करते हैं और फिर खून के बहाव के जरिए शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाते हैं।[3] सही उपचार के बिना, टाइफाइड से मरीज की हालत काफी गंभीर हो सकती है और यह जानलेवा भी हो सकता है। बच्चे इस बीमारी से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं, और ज्यादातर 5 से 15 साल की उम्र के बच्चों पर इसका असर होता है।[4]

यह बीमारी कैसे फैलती है?

शेडिंग

टाइफाइड के फैलने की प्रक्रिया को ‘शेडिंग’ कहा जाता है, जिसमें बैक्टीरिया शौच के दौरान संक्रमित व्यक्ति के शरीर से बाहर निकलता है। अगर आप खाने-पीने की ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, जिसे साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया फैलाने वाले व्यक्ति ने छुआ है, तो आपको टाइफाइड हो सकता है।[5]

खान-पान के ज़रिये

खान-पान के ज़रिये बैक्टीरिया के शरीर में प्रवेश करने के बाद लोग बीमार हो जाते हैं। सामान्य तौर पर यह सीवेज से दूषित खाने-पीने की चीजों से होता है, जिसमें गंदे पानी में धुली हुई प्लेटों पर भोजन करना, या शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथ नहीं धोने वाले व्यक्ति द्वारा छुआ गया भोजन करना शामिल है।[6]

दूषित भोजन एवं पानी

यह अच्छी तरह से नहीं धोए गए या पकाए गए खाने-पीने की चीजों से भी फैल सकता है, जिनमें फल एवं सलाद, या अस्वच्छ बर्फ के टुकड़ों अथवा अस्वच्छ फलों के रस के रूप में दूषित पेय पदार्थ शामिल हैं।[7]

क्रोनिक कैरियर

टाइफाइड से संक्रमित लोगों की आंतों में बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो समय-समय पर उनके मल से बाहर निकालते रहते हैं। कुछ मामलों में, ये बैक्टीरिया टाइफाइड से ठीक हो चुके लोगों की आंतों में लंबे समय तक रह सकते हैं। संभव है कि अब उनमें इसके लक्षण नहीं दिखाई दें, लेकिन वे बैक्टीरिया को फैलाना जारी रखते हैं।[1]

इसे जुड़े जोखिम कौन-कौन से हैं?

रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि, संभावित रूप से पूरी दुनिया में टाइफाइड के आधे से ज़्यादा मामले भारत में हैं। इन अध्ययनों में समुदाय और अस्पताल के डेटा के साथ-साथ रिपोर्ट नहीं किए गए मामलों को शामिल किया गया है।[8]

इस बीमारी के शुरुआती चरणों में, सामान्य तौर पर मरीजों को बुखार के साथ-साथ सिरदर्द, उबकाई और पेट दर्द का अनुभव होता है। हालाँकि, इसका इलाज नहीं कराए जाने पर यह गंभीर परेशानियों का कारण बन सकता है।[1]

टाइफाइड से छोटी आंत में अल्सर हो सकता है, जिससे आंतों से खून भी निकल सकता है। कुछ गंभीर मामलों में, यह छोटी आंत की क्षतिग्रस्त दीवारों से खून के बहाव में प्रवेश कर जाता है, जिससे सेप्सिस होता है। दूसरे मामलों में, यह मरीज के दिल, पेन्क्रियाज या मस्तिष्क की परत में सूजन पैदा कर सकता है तथा किडनी पर भी बुरा असर डाल सकता है।[7]

टाइफाइड बुखार से पीड़ित कुछ मरीजों में न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) समस्याएँ विकसित हो सकती हैं, जिनमें एन्सेफैलोपैथी, भ्रम, नींद की समस्या, मनोरोग, बेसुध होना और मांसपेशियों में अकड़न शामिल हैं।[10]

इसकी वजह से हेपेटो-स्प्लेनोमेगाली की समस्या भी हो सकती है, जिसमें लिवर तथा स्प्लीन, दोनों का आकार बढ़ जाता है।9 इस बैक्टीरिया के लंबे समय तक शरीर में बने रहने से गॉलब्लैडर कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है।[11]

संदर्भ

अस्वीकरण: यह भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड की ओर से शुरू की गई एक जन जागरूकता पहल है। इसका उद्देश्य सामान्य जानकारी प्रदान करना है और यह इलाज के लिए दी जाने वाली सलाह नहीं है। यहाँ डॉक्टर, चिकित्सा सुविधाओं और ग्राफ़िक्स को सिर्फ उदाहरण के तौर पर दिखाया गया है। इलाज से संबंधित किसी भी स्थिति के बारे में अपने किसी भी प्रश्न या चिंता के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।

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